चूम लेने दो मुझे अपनी बिंदिया
यह तुम्हारे लिए नहीं, मेरे लिए है।
मस्तक पर तुम्हारे रची अल्पना,
यह तुम्हारे लिए नहीं, मेरे लिए है।
पढ़ना चाहो तो पढ़लो इसको
इसपर लिखा है नाम मेरा।
कर रही यह, जग जाहिर -
तू मेरी है, मुझ पर हक़ है तेरा।
बिंदिया का रङ्ग है ऊर्जा मेरी,
और तुम्हारीi शीतल छाया
बस मेरे लिए है,.बस मेरे लिए है.
चूम लेने दो मुझे अपनी बिंदिया
यह तुम्हारे लिए नहीं, मेरे लिए है।
मचलते है जब सीने में तुम्हारे
सुसज्जित सुकोमल कमल
स्पर्श को मेरे मानते हैं धरम,
चुम्बन से इनके मुझे होता नशा है
उबलता है लावा तजकर शरम।
तुम्हारे नहीं ये मेरे हिये हैं
चूम लेने दो मुझे अपनी बिंदिया
यह तुम्हारे लिए नहीं, मेरे लिए है।
मेरी मज़बूरी है -
घर में अँधियारा है।
दर-दर भटक रहा हूँ -
एक चिराग की तलाश में।
चिराग कहीं नहीं मिला,
सब अपने हाथ सेक रहे हैं -
मुझे जलाकर आग में।
फिर भी मैं व्यस्त हूँ -
अपने ही राग में।
ज़िन्दगी, मज़बूरी, चिराग, अँधिया
गर्म किया जाता है लोहे को
नरम हो जाता है लोह -
कुछ समय के लिये
तथापि,
लोहा ही रहता है वह
मोम नहीं हो जाता।
नाग बसते हैं चन्दन पर
वे चन्दन नहीं बन जाते
वे विष नहीं तजते,
विषधर नाग ही रहते हैं वे। ,
व्यक्ति हो या वस्तु,
परखिये, गहराई से
उन के स्वभाव को,
चाहे वह कुछ भी कहें,
कुछ भी करें
उनके स्वभाव ही
उनके परम सत्य रहते है।